शुक्रवार, मई 13, 2016

जब भी तुम्हे देखता हूँ ...




 जब भी तुम्हे देखता हूँ ,
 ऐसा लगता है, 
 जैसे किसी कड़ी धुप के रेगिस्तान में ,
बरसात के पानी का बादल छाया हो ,

जब भी तुम्हे देखता हूँ, 
ऐसे लगता है
जैसे किसी भिकारी के सामने,
अमीरी खड़ी हो ,


जब भी तुम्हे  देखत हूँ , 
ऐसे लगता है 
जैसे किसी बहोत दिनों से भूके को ,
अच्छा खाना मिला हो ,

जब भी तुम्हे देखता हूँ , ऐसा लगता है 
जैसे किसी किसी प्यासे को,
अच्छा ठंडा पानी मिला हो ,

                                     - मोहन उगले




श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे.......

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