बरसात के पानी का बादल छाया हो ,
जब भी तुम्हे देखता हूँ,
ऐसे लगता है
जैसे किसी भिकारी के सामने,
अमीरी खड़ी हो ,
जब भी तुम्हे देखत हूँ ,
ऐसे लगता है
जैसे किसी बहोत दिनों से भूके को ,
अच्छा खाना मिला हो ,
जब भी तुम्हे देखता हूँ , ऐसा लगता है
जैसे किसी किसी प्यासे को,
अच्छा ठंडा पानी मिला हो ,
- मोहन उगले