गुरुवार, मार्च 30, 2023

आज सड़कों पर

आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख,
 पर अन्धेरा देख तू आकाश के तारे न देख

एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ, 
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख ।

अब यकीनन ठोस है धरती हक़ीक़त की तरह, 
यह हक़ीक़त देख लेकिन ख़ौफ़ के मारे न देख ।

वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे, 
कट चुके जो हाथ उन हाथों तलवारें न देख |

धुन्धका है नज़र का तू महज़ मायूस है, 
रोजनों को देख दीवारों में दीवारें न देख ।

राख़ कितनी राख़ है, चारों तरफ बिख़री हुई, 
राख़ में चिनगारियाँ ही देख अंगारे न देख |


श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे.......

  श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे....... AC च्या डब्यातील भाजणारे वास्तव............ आयुष्यात पहिल्यांदा AC ने प्रवास केला. डब्यात सेवेसाठी नेमल...