आखिर घर में पड़ी पुरखो की अमानते,
निम्बू के रस से कब तक मांझोगे...
क्षत्रियों उठो और निकलौ रोडो पर...
अपने शस्त्र लेकर...
अपनी स्वाभिमान के लिए लड़ो...
अपने इतिहास के लिए लड़ो...
अपने जिंदा होने का
सबूत देनें के लिए लड़ो...
लड़ो..
अब नियति तुम्है मोके नहीं देगी...
इसलिए अब अपनी नियति से लड़ो....
और उस भवानी के नाम की
चिटक जगाकर अपनी चन्द्रहास खड़बड़ाओ...।