गुरुवार, सितंबर 07, 2023

क्या लिखूं तुम पर



  क्या लिखूं तुझ पर 
कुछ लफ्ज़ नहीं है। 
दूरी का अहसास लिखूं या 
बेइन्तिहाँ मोहब्बत की बात लिखूं। 

एक हसींन ख्याल लिखूं या
 तुमको अपनी जान लिखूं । 
तुम्हारा खूबसूरत ख्याल लिखूं या 
अपनी मोहब्बत का इज़हार लिखूं ॥ 

तूने ही मुझे लिखा , 
अपने प्यार की कलम से,
 ए मेरे प्यार बता तुझको मैं
किस तरह लिखूं।




बंधन


कहतें हैं.. बंधनों के कई रूप होते हैं... 
सात फेरों का बंधन, 
सात जन्मों का बंधन जन्मों जन्मों का बंधन...
पर एक बंधन और भी होता है.... 
मन से मन का बंधन...!!!

रेशम सा... बहतें नीर सा..
हवाओं मे बहता सा.. महकते इत्र सा..
 बांधे एक ही.. डोर से.. मन से मन को.... 
हर भीड़ मे तलाशती.. एक दूसरें को.. 
उस नाम को.. उसके लिखे शब्दों को... 
यही तो है.. मन से मन का बन्धन !!!

देखते सुनते... जाने कब..
 कैसे.. खुद की आत्मा ... मन.. 
और मौन... मिल से ज़ातें हैं...
 बंध से जाते हैं...और फिर... 
प्रेम हो जाता है.. बस हो जाता है...
एक दूसरें को...मन से मन को..
शायद इस बंधन मे... कोई अग्नि साक्षी नही.. 
हवन नही.. कोई सात वचन नही... 
पर सबसे निकट.. 

अलग है ये..!!!
न बांधने की चाहत..
 न छूटने का मन.. बस ऐसा है ये..
मन से मन का बंधन !!!



श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे.......

  श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे....... AC च्या डब्यातील भाजणारे वास्तव............ आयुष्यात पहिल्यांदा AC ने प्रवास केला. डब्यात सेवेसाठी नेमल...