आज अभिमान से ही नहीं बल्कि ,
गर्व से कहता हूँ मेरा बाप एक किसान हैं ,
मैं एक किसान का बेटा हूँ ,
हाँ साहब , उसी किसान का बेटा हूँ मैं ,
जो दुनिया का पेट पालने के लिए
जो कड़ी धुप में .
भरी बरसात मैं ,
कडकडाती ठण्ड में ,
अपनी काली मिट्टी को धरती माँ समझकर ,
दिन रात काम करता हैं ,
उसी बहादुर किसान का बेटा हूँ मैं ,
हाँ , उसी गरीब किसान का बेटा हूँ मैं ,
जो आज कुदरत की वजह से और
आप की गलत नीतियों की वजह से ,
एक भिकारी बनकर फिर से ,
उसी कुदरत से लड़ने के लिए जी रहा हैं ,
उसी किसान का बेटा हूँ मैं ,
उसी किसान का बेटा हूँ मैं साहब जो ,
आप लोगों को पंचपकवान खिलानेवाला ,
अपने घर की रुखी सुखी रोटी खाके ,
आसमान की छत के निचे ,
अपनी धरती माँ की गोद में ,
ये सोचकर सोता हैं की ,
कल एक और नया सवेरा आएगा ,
कल एक और नई सुरुवात करूँगा ,
किसान का बेटा हूँ मैं साहब ,
फिर भी अभिमान ही नहीं बल्कि गर्व हैं ,
मेरे किसान पिता पर क्योंकि ,
वह आज भी खेती करता हैं ,
ताकि दुनिया मैं कोई अनाज की वजह से ,
भूका न रह सके
- मोहनकुमार उगले
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