शनिवार, नवंबर 04, 2023

आरजू


रक्त की स्याही से, 
हम मोहब्बत का पैगाम लिखते हैं।
दिल की धड़कनों की संगीत, 
तेरे नाम लिखते हैं।।

तूंम मेरे रूह की गहराइयों में 
हर पल रहती हो।
खुदा से तेरी सलामती का
 हम पयाम लिखते हैं।।

तेरी उल्फत की आरज़ू,
 हम सुबह -शाम करते हैं।
तेरी दीदार की जुस्तजू, 
हम सरेआम करते हैं।।

मेरे महबूब की सलामती का, 
हम इंतजाम करते हैं।
तेरी चाहत में अपनी जिंदगी,
 हम नीलाम करते हैं।।

तुम ही हो रीढ़ बन इतिहास में



युग-काल से 
मेरे भावना-विश्वास में।
तुम नारी खड़ी है रीढ़ बन
इतिहास में।

 सोचो और देखो
 हृदय के पास में।
 सृजन और स्नेह के
सुवास में।

मानवीय भावना के
भास में।
करुणा ही बसती है
जिनकी साँस में।

वीरता के भी
अडिग विश्वास में।
नारी खड़ी है
 रीढ़ बनकर इतिहास में।

सीता-सावित्री
अनुसूया-अरून्धति।
गंधारी-गार्गी
मैत्री या पद्मिनी।
मीराबाई, दुर्गावती
झाँसी की रानी।
कस्तूरबा-इंदिरा
सुभद्रा-सरोजिनी।

 इनसे होती रोशनी
 आकाश में।
 नारी खड़ी है,
 रीढ़ बनकर  इतिहास में।




श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे.......

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