कोई नही है मंजिल जिसके अहिवात की
मांग भरी शाम को बहारो ने ,
सेज सजी रात चांद तारो ने
भोर हुई मेहंदी छुटी हाथ की
जिंदगी दुल्हन है एक रात की
नईहर है दूर पता पिया का ना गांव
कही ना पड़ाव कोई कही नहीं छांव
जाए किधर डोली बारात की
जिंदगी दुल्हन है एक रात की
बिना तेल बाती जले उम्र का दीया
बीच धार छोड़ गया निर्दयी पिया
आंख बनी बदली बरसात की
जिन्दगि दुल्हन है एक रात की