आज से कुछ साल पहले, मैंने एक छोटे से शहर के लॉ कॉलेज में लॉ में एडमिशन लिया। उस वक़्त मैं बड़े मेट्रो सिटी से छोटे शहर में गया था इसलिए वह शहर मुझे 70 के दशक का देहाती ब्लैक एंड वाइट शहर जैसा लगता था, मगर वहाँ के लोंग काफी अच्छे स्वभाव के है। अकोला के उस कॉलेज में मैंने जादा कुछ सिखा नही इसलिए मैं उस कॉलेज का नाम लेना नहीं चाहूंगा। कॉलेज के लेक्चर शुरू होने के ६ महीनों बाद 8 फ़रवरी 2020 को उस कॉलेजने फर्स्ट ईयर के स्टुडेंट्स को फ्रेशर्स पार्टी दीई थी।
मैं उस कॉलेज के सभी लेक्चर रेगुलर करता था। नया कॉलेज, नये दोस्त हो तोह क्लास की खूबसूरत लड़कियों को फ्लर्ट करना तोह बनता है कि नही? मैं अक्सर क्लास की लड़कियों को फ्लर्ट करके बातें करता था। वैसे तोह मेरे पहले कॉलेज जैसी खुबसूरत लडकियाँ तोह इस लॉ कॉलेज में थी नहीं, जो भी लडकियाँ थी वह बगैर मेकअप किए ही कॉलेज में आती थी । उस क्लास की मेरी सारी बहनों के दिल अच्छे है, राखी बांधे बगैर क्लास की मेरी बहने मेरी बहन होने का पुरा फर्ज निभाती है। उस कॉलेज के दोस्त मुझे कहते थे की, " मोहन, तुम अकेले २-३ लड़कियों जितनी बकबक अकेले करते हो।" मेरी नॉन स्टॉप बकबक और बॉउंस जोक्स की वजह से उस क्लास के सभी स्टूडेंट्स परेशान रहते थे।
अब मैं सीधे मुद्दे पर आता हूँ जो की मैं कहना चाहता हूँ, 8 फ़रवरी २०२० को कॉलेज ने फ्रेशर्स पार्टी दी थी। फ्रेशर्स पार्टी से पहले उसी हॉल में एक बहुत ही जादा बोरिंग प्रोग्राम कॉलेज में था । सुबह ११ बजे के करीब बोरिंग सी फ्रेशर्स पार्टी शुरू हुई थी। मेरा मन तोह कर रहा था की, इस पार्टी से निकलकर सीधा घर जा के सो जाऊँ। क्लास के स्टूडेंट्स वन बाय वन स्टेज पर जाकर उस फ्रेशर्स पार्टी में अपना अपना शॉर्ट इंट्रोडक्शन दे रहे थे और सबको इंटरटेंमेंट करने की कोशिश कर रहे थे।
मुझे तो वहाँ खुर्ची पर बैठे नींद आ रही थी, नींद की वजह से मेरी आँखों की पलकें बंद हो रही थी। स्टेज पर कुछ दो सीनियर लडकियाँ एंकरिंग कर रही थी उनमें से किसी ने मेरा नाम पुकारा। जब से मैं उस कॉलेज में गया था, तब से किसी भी लडकी ने मेरा नाम इतनी खुबसुरती से लिया नहीं था। मेरा नाम सुनकर मैं तोह मानो रॉकेट की स्पीड से हाँथ उपर करते हुए स्टेज पर पहुँच गया। स्टेज पर जाने के बाद कॉलेज के स्टूडेंट्स ने मुझे कुछ उनका इंटरटेंमेंट करने को कहाँ।
दरअसल मैं बहुत ही जादा बोरिंग लडका होने की वजह से मुझे कभी भी किसी का इंटरटेंमेंट करना नहीं आता है, पर ऑडियंस से बहुत आवाज आने लगी तोह मैं घबराकर इधर उधर देखने लगा। जिस तरफ दो लडकियाँ स्टेज पर खडी होकर एंकरिंग कर रही थी उन्ही लड़कियों में से एक की तरफ मेरी नजर चली गई, मैंने उस लडकी को मेरी अब तक की जिंदगी में कभी भी देखा नही। मैं माइक उसके हांथो में देकर स्टेज से उतरकर जाना चाहता था।
मैंने सिर्फ़ २ सेकंड के लिए उसकी आँखे देखी थी, अब तक उस खूबसूरती की मूर्ती का पुरा चेहरा तक मैंने देखा नहीं था। मैंने २ सेकंड के लिए उसकी आँखों में क्या देखा, मैं तोह उसकी आँखे देख घायल हो गया था। जिंदगी में पहली बार मुझे समझ आया की, लडकियाँ आँखों से भी तीर चला सकती है।
सिर्फ़ ३ सेकंड उसे देखकर मेरे अंदर न जाने कहाँ से शाहरुख खान की आत्मा आ गई। उसे देखकर मैं भी अचानक से मेरे बोरिंग मुड़ से रोमेंटिक मुड़ में आ गया। अचानक से शाहरुख खान की "जब तक है जान" फिल्म की शायरी मैं उसको देखते हुए बोलने लगा।
मैंने पहले सिर्फ उसकी झील जैसी आँखे देखकर कहाँ, "तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ "
यह कहकर मैंने हिम्मत करते हुए उसके गुलाबी ओंठो की खूबसूरत मुस्कुराहट देखते हुए कहाँ, "तेरी हँसी की बेपरवाह गुस्ताखियाँ"
मुझ अजनबी का उसके साथ स्टेज पर ऐसा बर्ताव देखकर उस बेचारी ने अपना चेहरा दीवार की ओर किया। जब वह दीवार की तरफ देखने लगी तोह मेरी नजर उसके बालों पर चली गई। उसके बाल मानों किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा जैसे चमक रहे थे, उसके बाल देखते हुए अंदर से डरते हुए मैंने कहाँ, " तेरी बालों के जुल्फ़ों की लहराती अंगड़ाईयाँ नहीं भूलूँगा मैं
जब तक है जान, जब तक है जान! "
फिल्मी अंदाज में मैंने शायरी बोलने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने शाहरुख खान की सिग्नेचर स्टाइल कॉपी करने की कोशिस की। मानों मेरे अंदर कोई अदृश्य आत्मा हो और वह मूझसे यह सब करवा रहीं थी।
इसके आगे की हकीकत मैं नहीं लिख सकता। वैसे एक साल पहले ही मेरी वजह से बेचारी को परेशानीयों का सामना करना पडा होगा। किसी भी लडकी को उसकी ईज्जत उसके जान से प्यारी होती हैं, और हम सबका कर्तव्य है कि , किसी भी लडकी को हमारी वजह से उसकी ईज्जत और उसके मन को ठेंच न पहुंचे।
एक लहर तेरे ख़्यालों की,
मेरे वजूद को भिगो जाती है…
एक बूंद तेरी याद की,
मुझे इश्क़ के दरिया में डुबो जाती है…
तू कौन है, पता नहीं,
पर तेरे होने की ख़ुशबू मुझे
कुछ ख़ास बना जाती है...
मुझे वह लडकी बहुत अच्छी लगी थी। आज साल बाद भी मैं उस लडकीसे दिलसे उसकी माफ़ी माँगता हूँ, हो सके तोह मुझे माफ करना।
किसी फिल्म का कोई डायलॉग था जो मुझे याद आ रहा है सोचा कह दूँ,
हमने जो की थी मोहब्बत, आज भी है
तेरी ज़ुल्फो के साये की चाहत आज भी है,
रात कटती है आज भी ख़यालो मे तेरे
दीवानो सी वो मेरी हालत आज भी है,
Article writer-Mohan Ugale
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