चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर!!
गाह जलती हुई गाह बुझती हुई,
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात भर!!
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,
कोई तस्वीर गाती रही रात भर!!
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर!!
जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दर,
हर सदा पर बुलाती रही रात भर!!
एक उम्मीद से दिल बहलता रहा,
इक तमन्ना सताती रही रात भर!!