रात के घने अँधेरे में एक लड़की नंगे पांव जंगल के रास्ते से गुजर रही थी |वह सुनसान रास्ता था रात में कहीं दूर से उल्लू की आवाज कानों को चीरते हुए आ रही थी , कही दूर से कुत्तों की भूकने की आवाज और तेज हवा के बहने से पेड़ के पत्तों की आवाज से एक अजीब सा माहोल था , हर किसी का दिल चिर दे ऐसे घने जंगल से वह अकेली नवविवाहिता रोते हुए दौड़ रही थी |
जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो और ये अपनी जिंदगी बचाने के लिए जिंदगी दांव पर लगाकर जिंदगी बचने के लिए भाग रही हो | वह नवविवाहिता तेज दौड़ते दौड़ते साँस फूलने की वजह से वह बड़ी जोर से जमीं पर गिर गई | जैसे ही वह जमीं पर गिर पड़ी उस आवाज की वजह से पेड़ पर सोये हुए पंच्छी भी रात के घने अँधेरे में उठ कर आसमान में उड़ पड़े | जमीन पर गिराने की वजह से उसके हाँथ और पांव पर चोट आ गई | वह नवविवाहिता दर्द से कहरने लगी लेकिन क्या करेगी बेचारी उसके मदत के लिए उसके पास कोई भी नहीं था | निचे पड़े पड़े वह प्याससे तरस रही थी | उसकी आँखे अब बंद हो रही थी और उसकी सांसे भी अब धीमी हो रही थी | उसके आँखों के सामने सुबह का माहौल दिखने लगा | आज सुबह ही बड़ी धूमधाम से इस लड़की की शादी हुई थी | हर तरफ ख़ुशी का माहौल था , हर कोई शादी का काम बड़ी ख़ुशी से कर रहा था | बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई शादी की तयारी में लग गया था | शादी के मंडप में हर कोई सज धज कर बाते कर रहा था , बाहर शादी की धुन पर शहनाइयाँ , ढोल , ताशा बज रहे थे | बच्चे बाहर खेल रहे थे , लड़कियाँ संवर रही थी और लडके चुपके चुपके उन्हें देख रहे थे | शादी के मंडप के बाजु में शादी में आने वाले मेहमानों के लिए खाना बनाया जा रहा था | शादी की पूरी तयारी हो चुकी थी अब बस सिर्फ लडके वाले मेहमान आने बाकि थे |
अब दोपहर टल गई थी और अँधेरे से पहले लडके वालो को गाँव पहुँचना भी था | इसलिए वह दोपहर में छाँव कम होते ही दुल्हन की डोली लेकर जंगल के रास्ते से गाँव की और निकल पड़े | ये डोली नहीं उस दुल्हन की आस्तियां थी जो जिन्दा लाश को डोली मे डाल कर लेकर जा रहे थे | वह दुल्हन डोली में अकेले अकेले बैठी रो रही थी मगर अब उसकी जिंदगी तो पूरी तरह से बदल चुकी थी | अब शाम होने को आई थी और अब वह दुल्हे के गाँव में पहुँच गई थी | जैसे ही वह गाँव में पहुंची तो ढोल बजाकर उनका स्वागत किया | लेकिन उस लड़की को अब किसी भी चीज में मन नहीं लग रहा था | वह अब दुल्हे के घर पर पहुँच गए वहा पर जाते ही दुल्हन के दिल की धड़कने तेज हो गई | वह जैसे ही डोली से निचे उतर गई तो उसे बड़ी हैरानी हो गई | उसे यंहा आने पर पता चला की जिस आदमी की साथ उसकी शादी हुई थी वह तो पहले से ही शादीसुदा था और उसके बच्चे भी थे | उसकी पहले सात शादियाँ हो चुकी थी , और उसके दस बच्चे थे फिर भी इस बूढ़े आदमी ने इससे शादी की थी | वह जिस तरह से शादी के लिए सजधज कर आया था इससे उसे लगा था , की ये अमीर होगा लेकिन जब वह दुल्हे के घर पर पहुंची तो वह घर नहीं जैसे कोई कबाड़खाना हो | वह घर छोटा था और इतने लोगों के लिए काफी नहीं था | अब इस दुल्हन के दिमाग में सबकुछ आने लगा | इस आदमी ने अमीरी का नाटक करके और झूट बोल कर इस लड़की से शादी की थी | अब इस दुल्हन को क्या करू कुछ समज में नहीं आ रहा था | इसकी शादी तो हो चुकी थी और एक बार शादी होने के बाद लड़किया कर भी क्या सकती हैं | वह बेचारी डोली से निचे उतर कर उस छोटेसे घर के आंगन में आ गई | दुल्हे के गाँव के कुछ लोग वहा पर आकर जम गए | हर कोई उस बेचारी सी लड़की की और देख रहा था | जिस आदमी की पहलेसे सात शादिया हो गई हो उसकी बीवी बनने के बाद किस्सा लग रहा होगा उस नवविवाहिता को ? वह बेचारी तो अपने भाग्यसे नफ़रत करने लगी , क्यों न करेगी बेचारी नफ़रत उसकी जिंदगी को अब बड़ा अजीब और बुरा मोड़ जो लाया था उसकी जिंदगी लिखने वालेने | वह बेचारी लड़की ने अब उस टूटेफूटे छोटेसे घर में गृहप्रवेश किया , कुछ लड़किया उसे एक कमरे में लेकर गई और उसको उस पलंग पर बिठा कर वहांसे निकल गई | बाहर पूरी तरह से अँधेरा छाया हुआ था , उस घर के बाहर जमे हुए सभी लोग अब वहां से जा चुके थे | वह बेचारी नन्ही सी छोटीसी दुल्हन लड़की जब से वह उस बूढ़े दुल्हे के घर आई थी तब से उसे किसीने पानी तक नही पूछा था | वह लड़की बेचारी उसी पलंग पर बैठे बैठे लेटकर सो गई | उस लड़की के साथ आए उसके रिश्तेदार भी उसे उस कमरे के अन्दर मिलने नहीं आये |
अब रात हो रही थी , गाँव के सभी लोग खाना खा कर सोने की तयारी कर रहे थे | उस लड़की के कमरे का दरवाजा खटखटाया और उसकी आवाज से वह नींद से जगाकर डर के मारे उसी पलंगपर बैठ गई | दरवाजा खटखटाना चालू ही था वह , उस बेचारी को क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था | वह धीरे धीरे दरवाजे के पास गई और उसने वह दरवाजा अन्दरसे खोला , जैसे ही उसने वह दरवाजा खोला तो उसे दरवाजे के पास खड़े हुए आदमी ने बड़ी जोर से धक्का दिया | वह बेचारी नवविवाहिता देखकर हैरान हो गई क्योंकि वह आदमी उसका पति था | वह शराब की धुंद में पूरी तरह डूबा हुआ , हाथ में फूलों का गजरा और दारू की बोतल लिए हुए उसके कमरे में पहुँच गया | अब उस लड़की को उससे डर लगने लगा , वह आदमी सीधा उस पलंग पर जाकर बैठ गया और उस लड़की की और घुर घुर कर देखने लगा | वह लड़की उस दरवाजे के पास ही डर के मारे खड़ी हुई थी | उस आदमी ने बड़े गुस्सेसे उस लड़की को वह दरवाजा लगाने के लिए कहा , वह बेचारी तो घबराते हुए उसने वह दरवाजा लगाए | उसने जैसे ही दरवाजा लगाया उसी वक्त उस लड़की की और वह आदमी आने लगा और जैसे ही वह उसके पास पहुँच गया तो उसने उस बेचारी लड़की के साथ अनैतिक कृत्य करने लगा | उस लड़की के बाप के उम्र का एक शादी सुदा और बालबच्चे वाला आदमी उसके साथ अश्लील कृत्य करने की कोशिस कर रहा था | अचानक से उस आदमी ने उस बेचारी लड़की के चहरे पर एक जोर से थप्पड़ मारी | वह बेचारी एक थप्पड़से निचे गिर गई और वह रोने लगी | उस लड़की को क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था, वह आदमी उस लड़की कीऔर जैसे जैसे आने लगा तो उस लड़की की दिल की धड़कने बड़ी जोर से बढ़ने लगी | वह आदमी जैसे ही उसकी और आने लगा तो उसने आंव देखा ना तांव सीधा निचे पड़ी उसकी दारू की बोतल उस आदमी के सर पर दे मारी | वह आदमी निचे गिर पड़ा और जोरसे चिल्लाने लगा | उस लड़की को कुछ समझ नहीं आ रहा था | उस बेवडे दुल्हे की आवाज बाहर तक पहंच रही थी जैसे ही बाहर के लोंगो ने उसकी आवाज सुनी तो वह उस कमरे के और आने लगे | उस लड़की को इस जान्हुम से निकलने का येही सही वक्त लगा | वह सीधा खड़ी हुई और आँखे पोछकर दरवाजे की और चली गई | उसने दरवाजा खोला और दरवाजा खोल कर वहांसे भाग निकली | उसने दरवाजा खोला और जब वह आंगन में आगई तब वह अपनी खुद की जान बचाने के लिए , तेजीसे जंगल की और दौड़नी लगी | कुछ लोग उसका पीछा करने के लिए उसके पीछे तेजीसे दौड़ने लगे | लेकिन ऊस दुल्हन को अपनी जान बचानी थी इसलिए वह किसी शेरनी की तरह भाग रही थी | वह जंगल की और तेज दौडी जा रही थी | आधी रात गुझर गई थी और वह पुरे दिन भूकी और प्यासी होने के कारन जंगल में दौड़ते हुए वह गिर गई |
उस लड़की की आँखे अब धीरे धीरे खुलने लगी | उसे सुबह से लेकर अब तक का पूरा नजारा उसकी आँखों के सामने दिख रहा था | उसकी सांसे भी अब धीमी होने लगी, उसके आँखों के सामने अब अँधेरा छाने लगा जैसे उसकी मौत अब उसे लेने आ रही हो | वह अब अपनी जिंदगी की आखरी घड़ियाँ गिन रही थी | अपनी जिंदगी के पुरे सपने , ख्वाब सबकुछ इस बेचारी के जल कर खांक हो गए | उसकी सांसे धीमी हो रही थी और अचानक से उसकी सांसे रुक गई | उसकी पवित्र आत्मा अब इस पापी दुनिया से बहोत दूर निकल जा चुकी थी |
कोण जिम्मेदार था इसकी मौत के लिए ?उसने ऐसा क्या गुनाह किया था जो उसे इतनी बड़ी सजा मिली ? किसको जिम्मेदार ठहराए इसकी मौत के लिए ? इस समाज को ? इस दुनिया को ? उसके माँ बाप को जिनसे उसने कहा था की मुझे ये शादी मंजूर नहीं हैं फिर भी जोर जबरदस्ती से उसकी शादी करावा दीई . या उस बूढ़े आदमी को जो अपनी उम्र का लिहाज किये बिना ही अपनी बेटी के उम्र की लड़की से शादी की थी ? या उस परवरदीगार से जिसने उसकी किस्मत में खुशिया ही नहीं लिखी ? मौत लिखी तो वह भी इस तरह की , अपनी पुरे ख्वाब ,पुरे सपने सब कुछ छोड़कर एक जंगल में | इसकी मौत के लिए किसको जिम्मेदार ठहराए ?
लेखक - मोहन उगले
जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो और ये अपनी जिंदगी बचाने के लिए जिंदगी दांव पर लगाकर जिंदगी बचने के लिए भाग रही हो | वह नवविवाहिता तेज दौड़ते दौड़ते साँस फूलने की वजह से वह बड़ी जोर से जमीं पर गिर गई | जैसे ही वह जमीं पर गिर पड़ी उस आवाज की वजह से पेड़ पर सोये हुए पंच्छी भी रात के घने अँधेरे में उठ कर आसमान में उड़ पड़े | जमीन पर गिराने की वजह से उसके हाँथ और पांव पर चोट आ गई | वह नवविवाहिता दर्द से कहरने लगी लेकिन क्या करेगी बेचारी उसके मदत के लिए उसके पास कोई भी नहीं था | निचे पड़े पड़े वह प्याससे तरस रही थी | उसकी आँखे अब बंद हो रही थी और उसकी सांसे भी अब धीमी हो रही थी | उसके आँखों के सामने सुबह का माहौल दिखने लगा | आज सुबह ही बड़ी धूमधाम से इस लड़की की शादी हुई थी | हर तरफ ख़ुशी का माहौल था , हर कोई शादी का काम बड़ी ख़ुशी से कर रहा था | बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई शादी की तयारी में लग गया था | शादी के मंडप में हर कोई सज धज कर बाते कर रहा था , बाहर शादी की धुन पर शहनाइयाँ , ढोल , ताशा बज रहे थे | बच्चे बाहर खेल रहे थे , लड़कियाँ संवर रही थी और लडके चुपके चुपके उन्हें देख रहे थे | शादी के मंडप के बाजु में शादी में आने वाले मेहमानों के लिए खाना बनाया जा रहा था | शादी की पूरी तयारी हो चुकी थी अब बस सिर्फ लडके वाले मेहमान आने बाकि थे |
एक खोली के अन्दर एक खुबसूरत सी लड़की बैठी हुए थी | उसकी आँखे ऐसे लग रही थी जैसे वह रो रही थी | उसके चहरे पर ख़ुशी नहीं थी वह किसी बड़े दुःख में थी ऐसा लग रहा था | उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे , उसको आँखों से निकलने वाले आंसूओंको पोछना भी वह भूल गई थी | बाहर से किसी ने दरवाजा खटखटाया वह आवाज सुन कर उस लड़की ने अपने आँखों के आंसू गड़बड़ी में पोछने लगी | तभी दरवाजे के पाससे आवाज आई , '' तयार हुई की नहीं ? लडके वाले मेहमान आ गए हैं | तू जल्दी से तयार हो जा | '' वह लड़की बड़े दुःख से उठ खडी हुई और अपनी शादी का जोड़ा पहनकर तयार हुई | उस लड़की यह शादी मंजूर नहीं थी | उसने उस लडके को कभी पहले देखा भी नहीं था , और वह उसके बारे में कुछ जानती भी नहीं थी | उसको इतनी कम उम्र में शादी नहीं करनी थी | लेकिन वह कहेगी भी किसको उसने अपने माँ बाप से कहा था लेकिन उसके माँ बाप ने उसकी एक भी नहीं सुनी | अब वह बेचारी कहती भी किसको ? उसने अगर किसी से कुछ कहा भी तो वह ये शादी रुकवा सके ऐसा कोई भी नहीं था | आज उस लड़की की शादी और मंगनी दोनों एक ही दिन में थी | दोपहर हो रही थी और अब पुरे मेहमान शादी के मंडप में आ चुके थे , गर्मी के वजह से हर कोई पसीने से लतपत हो रहा था | जब कुछ लड़किया उसे लेने आ गई तो , वह अपनी आँखे उनसे छुपा रही थी वह यह नहीं चाहती थी की उसके वजह से उसके माता पिता की इज्जत चली जाए | मंडप में हर कोई दुल्हन का इंतजार कर रहा था | इस पूरी दुनिया में अगर कोई लड़की शादी का जोड़ा पहनती हैं तो वह किसी अप्सरा से भी अच्छी लगती हैं | शादी का जोड़ा हर किसी लड़की का ख्वाब होता हैं और वह जिस दिन उसे पहनती हैं उस दिन को वह जिंदगी भर नहीं भूलती | आज के दिन के लिए इस लड़की ने बड़े ख्वाब देखे थे , लेकिन उसकी जिंदगी आज बड़ी अजब मोड़ पर आ चुकी थी| अगर वह इस मोड़ पर जाती हैं तो वहां से लौटना उसके लिए नामुमकिन हो जायेगा | लेकिन उसको इस मोड़ पर जाना पड़ेगा , उसके माँ बाप के खातिर ,उनकी इज्जत के खातिर | वह लड़की अपने दिल को चिर कर , अपने ख्वाबों को जलाकर वह दुल्हन का जोड़ा पहनकर शादी के मंडप में नजरे झुका कर आ गई | शादी होने से पहले उसको उस लडके से मिलने , देखने भी नहीं दिया था | उसकी और हर कोई देख रहा था लेकिन उसकी नजरे तो निचे झुकी थी जैसे वह कोई गुलाम हो | हर तरफ हर कोई खुश दिख रहा था और अपने ही कम में व्यस्त था | किसी ने भी उस दुल्हन से पूछा नहीं था की तुम्हे ये शादी मंजूर हैं या नहीं | जैसे ही दुल्हन ने उस लडके की गले में माला डालने के लिए ऊपर देखा तो , तो वह हैरान हो गई | उसके बाप के उम्र का वह आदमी था जिससे उसकी शादी हो रही थी | उसका दिल चिर उठा उसको रोना आने लगा लेकिन अब वह रो भी नहीं सकती थी | उसको ये बुढा आदमी गंदा और किसी रोग से ग्रस्त दिख रहा था , वह मंडप से भागना चाहती थी लेकिन भागभी कैसे सकती थी | उसने शादी से पहले बहोत बार पूछा था की , ' लड़का कोण है ? मगर उसको किसी ने भी नहीं बताया था | हर किसी को शायद मालूम था की लड़का बुढा है फिर भी किसी ने भी उसको बताया नहीं था | उसने बड़ी मुस्किल से उस बूढ़े रोगी के गले में माला डाली और उसके मन के खिलाफ उसकी शादी हुई | लोगो ने उसकी शादी लगाई और पेट भर खाना खा कर अब शादी होने के बाद चल पड़े अपने अपने घर |
अब दोपहर टल गई थी और अँधेरे से पहले लडके वालो को गाँव पहुँचना भी था | इसलिए वह दोपहर में छाँव कम होते ही दुल्हन की डोली लेकर जंगल के रास्ते से गाँव की और निकल पड़े | ये डोली नहीं उस दुल्हन की आस्तियां थी जो जिन्दा लाश को डोली मे डाल कर लेकर जा रहे थे | वह दुल्हन डोली में अकेले अकेले बैठी रो रही थी मगर अब उसकी जिंदगी तो पूरी तरह से बदल चुकी थी | अब शाम होने को आई थी और अब वह दुल्हे के गाँव में पहुँच गई थी | जैसे ही वह गाँव में पहुंची तो ढोल बजाकर उनका स्वागत किया | लेकिन उस लड़की को अब किसी भी चीज में मन नहीं लग रहा था | वह अब दुल्हे के घर पर पहुँच गए वहा पर जाते ही दुल्हन के दिल की धड़कने तेज हो गई | वह जैसे ही डोली से निचे उतर गई तो उसे बड़ी हैरानी हो गई | उसे यंहा आने पर पता चला की जिस आदमी की साथ उसकी शादी हुई थी वह तो पहले से ही शादीसुदा था और उसके बच्चे भी थे | उसकी पहले सात शादियाँ हो चुकी थी , और उसके दस बच्चे थे फिर भी इस बूढ़े आदमी ने इससे शादी की थी | वह जिस तरह से शादी के लिए सजधज कर आया था इससे उसे लगा था , की ये अमीर होगा लेकिन जब वह दुल्हे के घर पर पहुंची तो वह घर नहीं जैसे कोई कबाड़खाना हो | वह घर छोटा था और इतने लोगों के लिए काफी नहीं था | अब इस दुल्हन के दिमाग में सबकुछ आने लगा | इस आदमी ने अमीरी का नाटक करके और झूट बोल कर इस लड़की से शादी की थी | अब इस दुल्हन को क्या करू कुछ समज में नहीं आ रहा था | इसकी शादी तो हो चुकी थी और एक बार शादी होने के बाद लड़किया कर भी क्या सकती हैं | वह बेचारी डोली से निचे उतर कर उस छोटेसे घर के आंगन में आ गई | दुल्हे के गाँव के कुछ लोग वहा पर आकर जम गए | हर कोई उस बेचारी सी लड़की की और देख रहा था | जिस आदमी की पहलेसे सात शादिया हो गई हो उसकी बीवी बनने के बाद किस्सा लग रहा होगा उस नवविवाहिता को ? वह बेचारी तो अपने भाग्यसे नफ़रत करने लगी , क्यों न करेगी बेचारी नफ़रत उसकी जिंदगी को अब बड़ा अजीब और बुरा मोड़ जो लाया था उसकी जिंदगी लिखने वालेने | वह बेचारी लड़की ने अब उस टूटेफूटे छोटेसे घर में गृहप्रवेश किया , कुछ लड़किया उसे एक कमरे में लेकर गई और उसको उस पलंग पर बिठा कर वहांसे निकल गई | बाहर पूरी तरह से अँधेरा छाया हुआ था , उस घर के बाहर जमे हुए सभी लोग अब वहां से जा चुके थे | वह बेचारी नन्ही सी छोटीसी दुल्हन लड़की जब से वह उस बूढ़े दुल्हे के घर आई थी तब से उसे किसीने पानी तक नही पूछा था | वह लड़की बेचारी उसी पलंग पर बैठे बैठे लेटकर सो गई | उस लड़की के साथ आए उसके रिश्तेदार भी उसे उस कमरे के अन्दर मिलने नहीं आये |
अब रात हो रही थी , गाँव के सभी लोग खाना खा कर सोने की तयारी कर रहे थे | उस लड़की के कमरे का दरवाजा खटखटाया और उसकी आवाज से वह नींद से जगाकर डर के मारे उसी पलंगपर बैठ गई | दरवाजा खटखटाना चालू ही था वह , उस बेचारी को क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था | वह धीरे धीरे दरवाजे के पास गई और उसने वह दरवाजा अन्दरसे खोला , जैसे ही उसने वह दरवाजा खोला तो उसे दरवाजे के पास खड़े हुए आदमी ने बड़ी जोर से धक्का दिया | वह बेचारी नवविवाहिता देखकर हैरान हो गई क्योंकि वह आदमी उसका पति था | वह शराब की धुंद में पूरी तरह डूबा हुआ , हाथ में फूलों का गजरा और दारू की बोतल लिए हुए उसके कमरे में पहुँच गया | अब उस लड़की को उससे डर लगने लगा , वह आदमी सीधा उस पलंग पर जाकर बैठ गया और उस लड़की की और घुर घुर कर देखने लगा | वह लड़की उस दरवाजे के पास ही डर के मारे खड़ी हुई थी | उस आदमी ने बड़े गुस्सेसे उस लड़की को वह दरवाजा लगाने के लिए कहा , वह बेचारी तो घबराते हुए उसने वह दरवाजा लगाए | उसने जैसे ही दरवाजा लगाया उसी वक्त उस लड़की की और वह आदमी आने लगा और जैसे ही वह उसके पास पहुँच गया तो उसने उस बेचारी लड़की के साथ अनैतिक कृत्य करने लगा | उस लड़की के बाप के उम्र का एक शादी सुदा और बालबच्चे वाला आदमी उसके साथ अश्लील कृत्य करने की कोशिस कर रहा था | अचानक से उस आदमी ने उस बेचारी लड़की के चहरे पर एक जोर से थप्पड़ मारी | वह बेचारी एक थप्पड़से निचे गिर गई और वह रोने लगी | उस लड़की को क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था, वह आदमी उस लड़की कीऔर जैसे जैसे आने लगा तो उस लड़की की दिल की धड़कने बड़ी जोर से बढ़ने लगी | वह आदमी जैसे ही उसकी और आने लगा तो उसने आंव देखा ना तांव सीधा निचे पड़ी उसकी दारू की बोतल उस आदमी के सर पर दे मारी | वह आदमी निचे गिर पड़ा और जोरसे चिल्लाने लगा | उस लड़की को कुछ समझ नहीं आ रहा था | उस बेवडे दुल्हे की आवाज बाहर तक पहंच रही थी जैसे ही बाहर के लोंगो ने उसकी आवाज सुनी तो वह उस कमरे के और आने लगे | उस लड़की को इस जान्हुम से निकलने का येही सही वक्त लगा | वह सीधा खड़ी हुई और आँखे पोछकर दरवाजे की और चली गई | उसने दरवाजा खोला और दरवाजा खोल कर वहांसे भाग निकली | उसने दरवाजा खोला और जब वह आंगन में आगई तब वह अपनी खुद की जान बचाने के लिए , तेजीसे जंगल की और दौड़नी लगी | कुछ लोग उसका पीछा करने के लिए उसके पीछे तेजीसे दौड़ने लगे | लेकिन ऊस दुल्हन को अपनी जान बचानी थी इसलिए वह किसी शेरनी की तरह भाग रही थी | वह जंगल की और तेज दौडी जा रही थी | आधी रात गुझर गई थी और वह पुरे दिन भूकी और प्यासी होने के कारन जंगल में दौड़ते हुए वह गिर गई |
उस लड़की की आँखे अब धीरे धीरे खुलने लगी | उसे सुबह से लेकर अब तक का पूरा नजारा उसकी आँखों के सामने दिख रहा था | उसकी सांसे भी अब धीमी होने लगी, उसके आँखों के सामने अब अँधेरा छाने लगा जैसे उसकी मौत अब उसे लेने आ रही हो | वह अब अपनी जिंदगी की आखरी घड़ियाँ गिन रही थी | अपनी जिंदगी के पुरे सपने , ख्वाब सबकुछ इस बेचारी के जल कर खांक हो गए | उसकी सांसे धीमी हो रही थी और अचानक से उसकी सांसे रुक गई | उसकी पवित्र आत्मा अब इस पापी दुनिया से बहोत दूर निकल जा चुकी थी |
कोण जिम्मेदार था इसकी मौत के लिए ?उसने ऐसा क्या गुनाह किया था जो उसे इतनी बड़ी सजा मिली ? किसको जिम्मेदार ठहराए इसकी मौत के लिए ? इस समाज को ? इस दुनिया को ? उसके माँ बाप को जिनसे उसने कहा था की मुझे ये शादी मंजूर नहीं हैं फिर भी जोर जबरदस्ती से उसकी शादी करावा दीई . या उस बूढ़े आदमी को जो अपनी उम्र का लिहाज किये बिना ही अपनी बेटी के उम्र की लड़की से शादी की थी ? या उस परवरदीगार से जिसने उसकी किस्मत में खुशिया ही नहीं लिखी ? मौत लिखी तो वह भी इस तरह की , अपनी पुरे ख्वाब ,पुरे सपने सब कुछ छोड़कर एक जंगल में | इसकी मौत के लिए किसको जिम्मेदार ठहराए ?
लेखक - मोहन उगले

