मेरे भावना-विश्वास में।
तुम नारी खड़ी है रीढ़ बन
इतिहास में।
सोचो और देखो
हृदय के पास में।
सृजन और स्नेह के
सुवास में।
मानवीय भावना के
भास में।
करुणा ही बसती है
जिनकी साँस में।
वीरता के भी
अडिग विश्वास में।
नारी खड़ी है
रीढ़ बनकर इतिहास में।
सीता-सावित्री
अनुसूया-अरून्धति।
गंधारी-गार्गी
मैत्री या पद्मिनी।
मीराबाई, दुर्गावती
झाँसी की रानी।
कस्तूरबा-इंदिरा
सुभद्रा-सरोजिनी।
इनसे होती रोशनी
आकाश में।
नारी खड़ी है,
रीढ़ बनकर इतिहास में।
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