जिस तरह से ,
गुलाब के फुल को काटों का साथ ,
उस तरह से रहूँगा में तेरे साथ |
जिस तरह से ,
कमल के फुल को खिलने के लिए ,
कीचड़ लगता हैं ,
उस तरह से रहूँगा में तेरे साथ |
जिस तरह से ,
दिल की धड़कनों को ,
सांसे लगती हैं ,
उस तरह से रहूँगा में तेरे साथ |
जिस तरह से ,
रात को दिन का ,
सहारा होता हैं ,
उस तरह से रहूँगा में तेरे साथ |
जिस तरह से ,
रोशनी को अँधेरे का ,
सहारा होता हैं,
उस तरह से रहूँगा में तेरे साथ |
लेखक - मोहनकुमार उगले
Bahot achhi
जवाब देंहटाएंWow
जवाब देंहटाएंI Like❤❤❤
जवाब देंहटाएंLajawab...
जवाब देंहटाएंThanks you
हटाएंBadhiya
जवाब देंहटाएंI like it...
जवाब देंहटाएंNice...
जवाब देंहटाएंBahot achhi hai
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंI like it
जवाब देंहटाएंI like it ....
जवाब देंहटाएंYour poem is so beautiful ....
Hi sir
जवाब देंहटाएंI need to help for Google Adsense apruvel
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हटाएंHello
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