आज कल मैं हर पल , हर वक्त
एक अजीब सी तन्हाई में जी रहा हूँ ,
न जाने क्या हैं, मेरे दिल में ,
न जाने क्या चल रहा है, मेरे दिल में ,
न जाने क्या सोचता हूँ में ,
न जाने कोनसी राह पर चला जा रहा हूँ में ,
सबकुछ पाने के बाद भी में ,
कुछ पाने की कोशिस करता था ,
लेकिन आज सबकुछ खोने की कोशिस कर रहा हूँ
मुझसे मेरी जिंदगी ने आजतक क्या चाहा ?
मुझे आजतक मालूम नहीं है ,
मगर मुझसे लोगों ने क्या चाहा ,
ये मुझे जरुर मालूम हैं ,
अजीब से लोगों के साथ मैं ,
अजीब सी जिंदगी में ,
अजीब से ख्वाबों के साथ ,
अजीब सी जिंदगी मैं
अजीब तरह से जी रहा हूँ ,
- मोहनकुमार उगले
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