जैसे कोई मेरी पारो मुझसे बिछड गई हो ,
और आज कोई फिरसे नई पारो मुझे मिल गई हो
कल तक ऐसा लगता था जैसे ,
मुझे मेरा अपना या पराया कहनेवाला भी कोई नहीं था ,
लेकिन आज कल दिल ही दिल में ऐसा लगाने लगा हैं जैसे ,
आज कोई अपना कहनेवाली दोस्त मिल गई हो ,
कल तक मेरा कोई भी दोस्त नहीं हुआ करता था ,
आज ऐसा लगाने लगा हैं जैसे ,
एक अनजानी सी दोस्त मिल गई हो ,
- मोहनकुमार उगले
- मोहनकुमार उगले

