मंगलवार, जनवरी 28, 2020

कोई मिल गया हो ...




कल तक में देवदास जैसा घूमता फिरता था ,
जैसे कोई मेरी पारो मुझसे बिछड गई हो ,
और आज कोई फिरसे नई पारो मुझे मिल गई हो

कल तक ऐसा लगता था जैसे ,
मुझे मेरा अपना या पराया कहनेवाला भी कोई नहीं था ,
लेकिन आज कल दिल ही दिल में ऐसा लगाने लगा हैं जैसे ,
आज कोई अपना कहनेवाली दोस्त मिल गई हो ,



कल तक मेरा कोई भी दोस्त नहीं हुआ करता था ,
आज ऐसा लगाने लगा हैं जैसे ,
एक अनजानी सी दोस्त मिल गई हो ,

                                  - मोहनकुमार उगले 



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