मंगलवार, नवंबर 14, 2023

अच्छा लगता है



ख़ामोशी ओढ़, 
बातें तेरी करना, 
अच्छा लगता है, 
चांदनी रात, यादों की बारिश, 
तारें गिनना अच्छा लगता हैं....

 सोई रातें, जागी बातें, 
गुपचुप गुपचुप बतियाती धडकने,
 तेरे इश्क़ में यूं घुलमिल जाना, 
अच्छा लगता हैं....

तुम्हे लगते फासले कई,
 हम लगता सदियों से संग यूं ही, 
तू हमसाया तो जीवन सफ़र, सुहाना लगता है.....

तुझे जो कहते मुझ से इश्क़ नहीं, 
फिर क्यूं मानते बातें मेरी, 
इस में हम पे तेरा हक जतलाना 
अच्छा लगता है......

मेरे चेहरे पे छाई रौनक तेरी, 
तेरी बेरुखी फिर भी मेरी दिवानगी, 
और चुपके चुपके तुम्हे देख आना, 
अच्छा लगता है.....



रविवार, नवंबर 05, 2023

मैं बेनाम सा शख्स हूं

मैं, आग सा गीला हूं,
 बरसात सा सूखा हूं,
 दिन का अंधेरा हूं, 
रात का सवेरा हूं, 
पतजर का पानी हूं,
 दरियां सा खाली हूं,
 काला सा उजाला हूं,
 उतरा सा सितारा हूँ, 
ख्वाबों सा सच हूं, 
अधूरा एक लफ़्ज़ हूं, 
मैं, बेनाम एक शख्स हूं...!



शनिवार, नवंबर 04, 2023

आरजू


रक्त की स्याही से, 
हम मोहब्बत का पैगाम लिखते हैं।
दिल की धड़कनों की संगीत, 
तेरे नाम लिखते हैं।।

तूंम मेरे रूह की गहराइयों में 
हर पल रहती हो।
खुदा से तेरी सलामती का
 हम पयाम लिखते हैं।।

तेरी उल्फत की आरज़ू,
 हम सुबह -शाम करते हैं।
तेरी दीदार की जुस्तजू, 
हम सरेआम करते हैं।।

मेरे महबूब की सलामती का, 
हम इंतजाम करते हैं।
तेरी चाहत में अपनी जिंदगी,
 हम नीलाम करते हैं।।

तुम ही हो रीढ़ बन इतिहास में



युग-काल से 
मेरे भावना-विश्वास में।
तुम नारी खड़ी है रीढ़ बन
इतिहास में।

 सोचो और देखो
 हृदय के पास में।
 सृजन और स्नेह के
सुवास में।

मानवीय भावना के
भास में।
करुणा ही बसती है
जिनकी साँस में।

वीरता के भी
अडिग विश्वास में।
नारी खड़ी है
 रीढ़ बनकर इतिहास में।

सीता-सावित्री
अनुसूया-अरून्धति।
गंधारी-गार्गी
मैत्री या पद्मिनी।
मीराबाई, दुर्गावती
झाँसी की रानी।
कस्तूरबा-इंदिरा
सुभद्रा-सरोजिनी।

 इनसे होती रोशनी
 आकाश में।
 नारी खड़ी है,
 रीढ़ बनकर  इतिहास में।




श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे.......

  श्रीमंत डब्यातील गरीब माणसे....... AC च्या डब्यातील भाजणारे वास्तव............ आयुष्यात पहिल्यांदा AC ने प्रवास केला. डब्यात सेवेसाठी नेमल...