ख़ामोशी ओढ़,
बातें तेरी करना,
अच्छा लगता है,
चांदनी रात, यादों की बारिश,
तारें गिनना अच्छा लगता हैं....
सोई रातें, जागी बातें,
गुपचुप गुपचुप बतियाती धडकने,
तेरे इश्क़ में यूं घुलमिल जाना,
अच्छा लगता हैं....
तुम्हे लगते फासले कई,
हम लगता सदियों से संग यूं ही,
तू हमसाया तो जीवन सफ़र, सुहाना लगता है.....
तुझे जो कहते मुझ से इश्क़ नहीं,
फिर क्यूं मानते बातें मेरी,
इस में हम पे तेरा हक जतलाना
अच्छा लगता है......
मेरे चेहरे पे छाई रौनक तेरी,
तेरी बेरुखी फिर भी मेरी दिवानगी,
और चुपके चुपके तुम्हे देख आना,
अच्छा लगता है.....